नई दिल्ली: गोला-बारूद बनाने में बढ़ रहा भारत का दबदबा, रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

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नई दिल्ली: रिपब्लिक रिपोर्ट

आज दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है. दुनिया के दो सबसे शक्तिशाली और हथियारों के सप्लायर देश यानी अमेरिका और रूस युद्ध में बिजी हैं, जिससे एम्युनिशन की सप्लाई लाइन पर भी असर पड़ रहा है. ऐसे में भारत दुनिया की गोला-बारूद की सबसे ज़रूरी सप्लाई चेन और निर्यातक बन सकता है. हाल ही में एम्मो इंडिया की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है.

दुनियाभर में पनपे युद्ध के माहौल के बीच भारत को इस आपदा में अवसर मिल सकता है. सरकार की मेक इन इंडिया मुहिम हथियारों के बाजार में तेजी से उभर रही है. भारत एम्युनिशन की ग्लोबल डिमांड को भी पूरा करने में सक्षम हो रहा है. इस समय अकेला भारत दुनिया की लगभग 1.82 लाख करोड़ के गोला-बारूद की डिमांड को पूरा करने का दम रखता है.

साल 2023 की रिपोर्ट में दावा:

हाल ही में एम्मो इंडिया 2024 रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि विश्व के गोला-बारूद की मांग लगभग 1.30 लाख करोड़ है. इसमें हैवी कैलिबर के गोला-बारूद की बेसिक डिमांड 53.48% है, जबकि ग्रेनेड, लैंड माइंस और मोर्टार 23.27% है. वहीं, मध्यम कैलिबर के गोला-बारूद की मांग 12.84% है. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ पर भारत आगे बढ़ रहा है. एम्युनिशन बाजार में भारत और ताकतवर बन सकता है. एम्मो इंडिया के मुताबिक, साल 2032 तक दुनिया की यह डिमांड करीब 1.84 लाख करोड़ तक होने का अनुमान है. ऐसे में यह भारत की डिफेंस इंडस्ट्री के लिए एक बहुत बड़ा बूस्ट हो सकता है.

साल 2023 में भारत का डिफेंस बाजार कहां तक पहुंचा:

भारत का एम्युनिशन डिफेंस सेक्टर 7.57 करोड़ तक पहुंच चुका है. रिपोर्ट में यह भी दावा किया जा रहा है कि भारत 2032 तक 4.93% बढ़त के साथ 11,981 करोड़ तक पहुंचेगा. भारत के डिफेंस सेक्टर में इस ज़बरदस्त उछाल का मुख्य कारण मेक इन इंडिया की पहल है. इसका मुख्य कारण यह है कि हथियार और गोला-बारूद बनाने का बाजार आज सरकारी संस्थानों के साथ-साथ प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खुल गया है.

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