भिवंडी मनपा का भ्रष्टाचार “मरम्मत का परमीशन” देकर बनवाई जा रही है नई आरसीसी इमारत।

भिवंडी

    भ्रष्टाचार पर चुप्पी खड़ा हुआ सवाल?

अब्दुल गनी खान
भिवंडी- एक तरफ महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एवं नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे विधानसभा में अनाधिकृत इमारत पर रोक लगाने के पुरजोर कोशिश कर रहे हैं वहीं उनके जिले के भिवंडी निज़ामपुर शहर महानगरपालिका क्षेत्र में अवैध निर्माण का सिलसिला बेकाबू होता जा रहा है। ‘मरम्मत परमीशन’ की आड़ में धड़ल्ले से नई आरसीसी इमारतें खड़ी की जा रही हैं, और हैरानी की बात यह है कि इस सब पर निगरानी रखने वाला पालिका प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है। सूत्रों की मानें तो इस समय पालिका क्षेत्र में करीब 150 अवैध इमारतों का निर्माण कार्य जारी है। इन निर्माणों में कई निर्माण वैधता का चोला पहनाने के लिए ‘मरम्मत परमीशन’ का सहारा लिया है। जर्जर घोषित इमारतों को तोड़कर वहां बहुमंज़िला आरसीसी इमारतें बनाई जा रही हैं, और इस पूरे खेल में पालिका के कुछ कर्मचारी कथित रूप से अहम भूमिका निभा रहे हैं।

सबसे गंभीर बात यह है कि शासन द्वारा नियुक्त सहायक आयुक्त पर रिक्त होने के कारण पालिका के क्लर्क स्तर के कर्मचारियों को प्रभारी सहायक आयुक्त बनाकर निर्माण कार्यों की अनुमति देने का जिम्मा सौंपा गया है। यह वही कर्मचारी हैं जो लाखों रुपये लेकर ‘मरम्मत’ के नाम पर नई इमारतों को हरी झंडी दिखा रहे हैं। पिछले पाँच वर्षों में तीनबत्ती, निज़ामपुर, नारपोली, कामतघर, शास्त्री नगर, नागांव, आजमी नगर, पद्मानगर और गौरीपाड़ा जैसे क्षेत्रों में सैकड़ों अवैध आरसीसी इमारतें खड़ी हो चुकी हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि इन इमारतों के निर्माण से पहले बिल्डरों द्वारा अधिकारियों को मोटी रकम दी जाती है। मरम्मत की मंजूरी मिलते ही पुरानी इमारत गिरा दी जाती है और उसकी जगह नई आरसीसी संरचना खड़ी कर दी जाती है। बाद में उसे नियमित कर नया हाउस टैक्स भी लगा दिया जाता है। प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में है। पूरा मामला सामने आने के बावजूद अब तक न तो कोई जांच शुरू हुई है और न ही किसी पर कार्रवाई हुई है। इससे यह आशंका गहराती जा रही है कि कहीं पालिका प्रशासन की मौन स्वीकृति भी इस गोरखधंधे में शामिल तो नहीं?स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों में इस मुद्दे को लेकर भारी नाराजगी है। नागरिकों का कहना है कि नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे पर भी सवालिया निशान लग रहा है,इस तरह की मनमानी से शहर की संरचना और सुरक्षा दोनों पर खतरा मंडरा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार से मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

समाजसेवियों का कहना है कि “यह केवल भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि जनता की जान से खिलवाड़ है। राज्य सरकार को तत्काल दखल देना चाहिए।

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