ठाणे जिले में बाल विवाह रोकने के लिए धर्मगुरुओं की पहल।

ठाणे

अब्दुल गनी खान
ठाणे, 28 ठाणे जिले में बाल विवाह रोकने के लिए एमएसवीटी संस्था द्वारा शुरू किए गए जागरूकता अभियान को उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिल रही है। इस अभियान को नई ताकत मिली है, विशेषकर धर्म गुरुओं द्वारा बाल विवाह के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाने तैयारी शुरू हो गई है।


अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर शुरू होने वाले विवाह सीजन के दौरान बाल विवाह में वृद्धि की संभावना को देखते हुए, एमएसवीटी ने सभी धार्मिक नेताओं से एकजुट होकर बाल विवाह रोकने का आह्वान किया है।

इस लिए जिले के सभी मंदिरों, मस्जिदों और चर्चों के सामने “यहां बाल विवाह की अनुमति नहीं है” के स्पष्ट संकेत लगाए गए हैं।

एमएसवीटी के अध्यक्ष मनोज गावंड ने कहा, “बाल विवाह को रोकने के लिए सबसे पहले हर समाज के धार्मिक गुरु को शामिल करना जरूरी है। क्योंकि उनकी ओर से ही विवाह समारोह संपन्न होता है। इसलिए अगर हमें उनका सहयोग मिले तो बाल विवाह पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है।

इस गंभीरता को समझाते हुए गावंड ने आगे कहा कि बाल विवाह का आयोजन सुविधा प्रदान करना या प्रोत्साहित करना बाल विवाह रोकथाम अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत दंडनीय अपराध है। इस अपराध का दोषी पाए जाने पर दो साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा, 18 वर्ष से कम उम्र की विवाहित लड़की के साथ शारीरिक संबंध बनाना भी POCSO अधिनियम के तहत बलात्कार माना जाता है। इसलिए धार्मिक नेताओं को भी इस मामले में जागरूक होने की जरूरत है।

पिछले वर्ष एमएसवीटी और सेवा संस्था के संयुक्त प्रयासों तथा जिला महिला एवं बाल विकास ठाणे की मदद से ठाणे जिले में 18 बाल विवाह रोके गए। यह सफलता स्थानीय प्रशासन, पुलिस विभाग और सामुदायिक स्वयंसेवकों के सक्रिय सहयोग के कारण संभव हुई है। एमएसवीटी जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन (जेआरसी) नेटवर्क का साझेदार है, जो 416 जिलों में बाल अधिकारों की रक्षा के लिए काम करता है। पिछले कुछ वर्षों में जेआरसी की ओर से देशभर में दो लाख से अधिक बाल विवाह रोके गए हैं और पांच करोड़ नागरिकों ने बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली है।

एमएसवीटी के ट्रस्टी एडवोकेट अशोक पवार ने कहा, “आज जिले में कई पंडित, मौलवी और पादरी बाल विवाह रोकने के लिए खुद आगे आ रहे हैं। उन्होंने लड़कियों की उम्र की पुष्टि किए बिना विवाह की रस्में करने से इनकार कर दिया है। यह बदलाव समाज के लिए बहुत सकारात्मक है।

उन्होंने आगे कहा, “अगर धर्मगुरु कड़ा रुख अपनाएं तो बाल विवाह जैसी खतरनाक प्रथा को देश से खत्म किया जा सकता है। हमें पूरा विश्वास है कि हम जल्द ही ठाणे को बाल विवाह मुक्त जिला बना देंगे।”

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