परिवार के साथ ट्रेन में चढ़ना हुआ मुश्किल
अब्दुल गनी खान
भिवंडी: गर्मी की छूट्टी में गांव जाने के लिए टिकट नहीं मिल रहा है और जैसे तैसे टिकट मिल भी गया तो बोगी में चढ़ना मुश्किल है और काफी जद्दोजहद के बाद चढ भी गए तो अपनी सीट तक पहुंचना मुश्किल है क्योंकि स्लीपर, रिजर्वेशन और थर्ड एसी सब एक समान हो गये है, सीट पर तो बैठने की जगह नहीं है सीट के नीचे और गली में भरे पड़े रहते हैं लोग, बमुश्किल से लोग प्रसाधन के लिए पहुंच पा रहे हैं, ट्रेन के आते ही कल्याण स्टेशन व अन्य मेल गाड़ियों के स्टेशन पर अफरातफरी का माहौल हो जाता है पुलिस वाले भी यात्री को राम भरोसे छोड़ दिए हैं लोग जैसे तैसे बोगी में चढ रहे हैं, भारी भीड़ और अव्यवस्था के चलते महिलाओं और बच्चों, बुजुर्ग का बुरा हाल है, लोग स्लीपर का टिकट लेकर जबरन रिजर्वेशन और थर्ड एसी में घुस जा रहे हैं, यात्री के बार बार शिकायत के बावजूद कोई जिम्मेदार अधिकारी बोगी तक नहीं आ रहा है, रेलवे की लापरवाही के चलते उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग बहुत ही तकलीफ़ को झेलते हुए दयनीय हालत में गांव पहुंच रहे है। उसके बावजूद भाजपा का नारा है,अबकी बार चार सौ पार,ज्ञात हो कि कोविड काल से रेलवे में आने जाने वाले यात्रियों की तकलीफों को दूर करने में सरकार नाकाम रही है,हर ट्रेन में एसी कोच की बढ़ोत्तरी की गई है वहीं सिलिपल कोच और जनरल कोच को कम कर दिया गया है जिससे जनरल से लेकर एसी कोच तक सब जनरल हो जाता है,कई यात्रियों का टिकट रहने के बावजूद गाड़ी में बैठ नहीं पाते,और अगर जैसे तैसे बैठ गये तो अंदर सौच तक जाना मुश्किल रहता है, महाराष्ट्र के अंदर रेलवे यात्रियों के सुविधा के लिए अनेक युनियन है लेकिन देश में भाजपा सरकार आने के बाद सब यूनियन के नेता भाजपा के पल्लू में समां गए कोई इन यात्रियों के लिए आवाज उठाने वाला नहीं है।
