अब्दुल गनी खान
भिवंडी – भिवंडी निजामपुर शहर महानगर पालिका के प्रभाग समिति क्र,चार में स्थित परशुराम धोडू टावरे स्टेडियम अपनी मूल पहचान खोता जा रहा है। खेल गतिविधियों के लिए बनाए गए इस स्टेडियम की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। अब यह स्थान खेल प्रेमियों के लिए नहीं, बल्कि पुरानी इमारतों से निकले मलबे (रैबिट) के भंडारण और बिक्री का अड्डा बन चुका है।

स्थानीय सूत्रों की मानें तो शहर के कई ठेकेदार, जो पुरानी इमारतों को गिराते हैं, वे सीधे इस स्टेडियम की चारदीवारी के भीतर मलबा डंप करते हैं और फिर उसी जगह से ऊँचे दामों में इसे बेच देते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि यह सब खुलेआम हो रहा है,लेकिन भिवंडी मनपा प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
यह स्टेडियम कई वर्षों से सामाजिक,सांस्कृतिक, राजनीतिक कार्यक्रमों और शादियों के आयोजन के लिए भी उपयोग में लाया जा रहा है। इन आयोजनों के लिए मनपा बाकायदा शुल्क भी वसूल करती है। लेकिन जब बात व्यवस्थित रूप से रैबिट के धंधे की आती है, तो प्रशासन आंखें बंद कर लेती है। मलबे के कारण स्टेडियम परिसर में हर तरफ धूल, गंदगी और अव्यवस्था का माहौल है। बरसात के मौसम में यह मलबा जलजमाव और मच्छरों के प्रजनन का कारण बनता है, जिससे डेंगू, मलेरिया जैसे संक्रामक रोग फैलने का खतरा बना रहता है। बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर इसका सीधा असर पड़ता है। स्टेडियम के आस-पास रहने वाले नागरिक लगातार इसकी शिकायत कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

स्थानीय पुर्व नगर सेवक शकील पापा ने महानगर पालिका के संबंधित अधिकारियों को चेतावनी दी है उक्त मलबे त्वरित हटवाया जाय,और मल्बा रखने वाले ठेकेदार पर पुलिस में मामले दर्ज करके दंडित किया जाय,और संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जिससे फिर इस तरह की हरकत कोई ना करे। शकील पापा ने कहा कि खेल मैदान को मलबा डंपिंग ग्राउंड में तब्दील करना न सिर्फ खेल भावना का अपमान है, बल्कि यह स्वच्छ भारत मिशन की भी अवहेलना है। अब यह देखना बाकी है कि भिवंडी मनपा प्रशासन कब जागता है और इस अवैध गतिविधि पर लगाम लगाकर स्टेडियम को उसकी मूल पहचान वापस दिलाता है या फिर भ्रष्टाचार के शिकार में स्टेडियम आखरी सांसें लेता रहेगा।