अब्दुल गनी खान(कल्याण
राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने मगाठाणे 17 स्थिति सहकारी उप-पंजीयक के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं, जिन्होंने स्थानीय डेवलपर के लाभ के लिए डेवलपर के साथ मिलीभगत करके राज्य सरकार को स्टाम्प ड्यूटी में करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया। पूर्व भाजपा विधायक नरेंद्र पवार ने राज्य सरकार का ध्यान इस मामले की ओर आकर्षित करते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी। नरेंद्र पवार ने बताया कि राज्य के राजस्व मंत्री ने इसे गंभीरता से लिया है और पंजीयन एवं मुद्रांक महानिरीक्षक को जांच कर सात दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।

मुंबई के मगाठाणे स्थित 17 के डिप्टी रजिस्ट्रार संजय साल्वे पिछले डेढ़ साल से यहां काम कर रहे हैं। यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति पंजीकृत कराना चाहता है तो उसे रजिस्ट्रार के पास आवेदन करना होगा। इसके बाद उप-पंजीयक दस्तावेजों को पूरा करता है और संपत्ति पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करता है। और इसके लिए वे सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क लेते हैं। फिर सरकार उसी के अनुसार राजस्व उत्पन्न करती है। लेकिन पिछले डेढ़ साल से संजय साल्वे अपने पद का दुरुपयोग कर खुद और डेवलपर्स तथा पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आने वाले आम नागरिकों के लाभ के लिए सरकार को मिलने वाली स्टाम्प ड्यूटी के करोड़ों रुपये गंवा रहे हैं।
पूर्व विधायक नरेंद्र पवार ने राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। पवार ने यह भी कहा कि यह देखा गया है कि दस्तावेज के मूल्यांकन में गड़बड़ी करके तथा केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को दिए गए स्टाम्प शुल्क में विसंगति दिखाकर दस्तावेज पंजीकरण के लिए आने वाले जरूरतमंद लोगों से पैसे ऐंठे जा रहे हैं। यह मामला बहुत गंभीर है और सबूत के तौर पर उन्होंने इस शिकायत के साथ दस्तावेज़ पंजीकरण संख्या 2386, दिनांक 14/2/2025 प्रस्तुत किया था।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए तथा स्टाम्प ड्यूटी का उल्लंघन करने वाले उप पंजीयक संजय साल्वे के खिलाफ गहन जांच की जानी चाहिए। तथा पूर्व विधायक नरेंद्र पवार ने राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले से स्टाम्प ड्यूटी में सरकार को हुए करोड़ों रुपए के नुकसान की भरपाई इस अधिकारी से करने की मांग की थी।
पूर्व विधायक नरेंद्र पवार ने यह भी बताया कि राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने भी इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल संज्ञान लिया है और पंजीयन एवं मुद्रांक महानिरीक्षक को मामले की जांच कर 7 दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।