अब्दुल गनी खान
मुंबई रज़ा अकादमी के ऐलान पर बाबरी मस्जिद की शहादत को पूरे 33 साल हो गए हैं। हर साल 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की शहादत पर विरोध दर्ज कराने के लिए अज़ानें दी जाती हैं। इस वर्ष भी शाम 3:45 बजे सुन्नी जामा मस्जिद कोटरगेट से अज़ान दी गई। अज़ान के समय से लगभग 15 मिनट पहले जैसे ही मस्जिद से घोषणा की गई, बड़ी संख्या में युवा अज़ान के लिए कतार में खड़े हो गए।

ठीक 3 बजकर 45 मिनट पर मस्जिद से अज़ान दी गई, जिसे लोग दोहरा रहे थे। अज़ान का यह दृश्य जहाँ रूहानी (आध्यात्मिक) होता है वहीं इसके माध्यम से भारत सरकार तक यह संदेश भी पहुँच जाता है कि मुसलमान बाबरी मस्जिद को भूलें नहीं हैं।
मौलाना ग़ुलाम यज़दानी मिस्बाही ने कहा कि 6 दिसंबर की यह अज़ानें यूँ ही दी जाती रहेंगी। उन्होंने कहा कि मस्जिद एक बार स्थापित हो जाने के बाद हमेशा के लिए मस्जिद रहती है, इसलिए उससे पीछे हटना संभव नहीं। बाबरी मस्जिद की शहादत का दिन देश का काला दिन है। सुप्रीम कोर्ट ने भले ही मस्जिद के हक में फैसला न दिया हो, लेकिन मुसलमानों के लिए वह शरीयत के मुताबिक मस्जिद ही है। देश की अमन-शांति और एकता हर हाल में बरकरार रखी जाएगी।

भिवंडी की कई मस्जिदों से भी 3:45 बजे अज़ानें दी गईं और बाबरी मस्जिद की वापसी के लिए दुआएँ की गईं। सुन्नी जामा मस्जिद कोटरगेट में मौलाना ग़ुलाम यज़दानी साहब ने दुआ कराई। इस कार्यक्रम में मस्जिद के जिम्मेदारों और लोगों ने हिस्सा लिया। दुआ के बाद सभी शांति से वापस चले गए।

