
मौलाना मजहरुल हक़ की पैदाइश 22 दिसम्बर सन् 1866 ई. में बिहार के एक जमीनदार घराने में हुई थी। इनके वालिद का नाम शेख अहमदउल्ला था। आपकी शुरुआती तालीम घर पर ही मौलवी के जरिये हुई थी, लेकिन मेट्रीकुलेशन का इम्तिहान आपने पटना कालेज से सन् 1886 ई. में पास किया। उसके बाद आपने आला तालीम के लिए लखनऊ की तरफ रुख किया, उसके बाद लखनऊ से इंग्लैंड जाकर लॉ की डिग्री लेने बाद सन् 1891 ई. से पटना में वकालत शुरु की। बाद में आप वहीं मुंसिफ मजिस्ट्रेट बने , लेकिन जल्द ही एक हिन्दुस्तानी के केस में अंग्रेज जज से टकराव हुआ और नौकरी छोड़कर आपने छपरा में फिर से वकालत शुरु कर दी।मौलाना मजहरुल हक़ ने बिहार को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आंदोलन चलाया। आंदोलन की वजह से आप सन् 1906 ई. में पटना चले गये और वहीं वकालत करने लगें। सन् 1906 ई. में आप बिहार कांग्रेस कमेटी के नायब सदर चुने गये। मजहरुल हक़ ने बिहार में आयोजित होमरुल आंदोलन में सरगर्मी से अपनी ख़िदमात पेश की। सन् 1916 ई. में आप बिहार कांग्रेस कमेटी के सदर बनाये गये। चम्पारण सत्याग्रह में आपने राजेन्द्र प्रसाद अनुग्रहनारायन सिन्हा और ब्रज किशोर को साथ लेकर अहम किरदार निभाया। सभी गिरफ्तार हुए और तीन महीने की सजा पायी। आप इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के मेम्बर भी चुने गये। बिहार में बेहतरीन और सस्ती तालीम के लिए आपने आंदोलन चलाया। सरकारी तालीमी तंजीमों और बिहार विश्वविद्यालय के छात्रों को साथ लेकर आपने अंग्रेजी शिक्षा माध्यम की मुखालिफत भी की। आपकी ही कोशिशों से सदाकत आश्रम नाम सेकांग्रेस मुख्यालय का निर्माण कराया गया। अपने वक्त के सभी राष्ट्रीय नेताओं के साथ अपनी ख़िदमात पेश करते हुए आपने लगभग सभी तहरीकों में हिस्सा लिया लेकिन सन् 1920-1925 ई. के बीच कांग्रेस के कुछ नेताओं की फिरकावारना सोच और हिकमते-अमली से दुःखी होकर आपने सियासत से संन्यास ले लिया। इस माहौल से आपको गहरा सदमा लगा जिसकी वजह से आप अपने घर ही रहने लगे और 2 जनवरी सन् 1939 ई. में आपका इंतकाल हो गया। आपकी याद में बिहार अरबी- फारसी विश्वविघालय और मजहरुल हक़ लाइब्रेरी अहम है। नोट-भारत सरकार ने सन् 1981 में मौलाना मज़हरुल हक़ साहब के सम्मान में एक डाक टिकट स्मारक जारी किया। संदर्भ-लहू बोलता भी है
लेखक-सैय्यद शाहनवाज अहमद कादरी, कृष्ण कल्कि पृष्ट संख्या 213, 214 संकलन हसरत अली शेरपुर जिला मुजफ्फरनगर बिहार।
