43 साल पुराना बोइंग 737-200 हुआ ‘भूला हुआ विमान’ — 13 साल बाद याद आया, 1 करोड़ रुपये पार्किंग शुल्क मिला

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कोलकाता, 9 दिसंबर 2025 – Air India के बेड़े का एक 43 साल पुराना विमान, Boeing 737‑200 (पंजीकरण VT-EHH), 2012 में जब से इसे सेवानिवृत्त किया गया था, तब से लगभग 13 साल तक Netaji Subhas Chandra Bose International Airport, कोलकाता के एक कोने में लावारिस पड़े रहा। हैरानी की बात है कि इतना पुराना और बड़ा विमान — जो कभी एयर इंडिया/Fleet में था — सालों तक इसकी मौजूदगी का किसी को पता नहीं चला।


🛩️ भूल, लापरवाही या अदूरदर्शिता?

इस 737-200 को 1982 में सेवा में शामिल किया गया था। बाद में इसे 1998 में लीज पर Alliance Air को दिया गया था। 2007 में यह वापस आया और कार्गो विमान के रूप में उपयोग हुआ। उसी साल जब एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का विलय हुआ, तब यह विमान एयर इंडिया के बेड़े में आ गया।

इसके बाद, एक अवधि तक यह India Post द्वारा उपयोग में रहा। इसके सेवानिवृत्त होने के बाद 2012 में इसे कोलकाता एयरपोर्ट के दक्षिण-पूर्वी किनारे पर पार्क कर दिया गया था। उस समय से यह विमान वहीं खड़ा था।
लेकिन 13 साल बीतने के बाद — जब एयरपोर्ट प्राधिकरण ने इसे हटाने का फैसला किया — तब एयर इंडिया को ही एहसास हुआ कि यह विमान अब भी उनके नाम पर है। अचानक सामने आयी यह “लापता” मशीन लंबे समय तक उनके रिकॉर्ड से भी गायब थी।

कंपनी के सीईओ Campbell Wilson ने स्वीकार किया कि निजीकरण के बाद संगठनात्मक स्मृति और बही-खातों में चूक हुई थी — जिसके कारण विमान “भूल गया” था।


💸 13 साल के पार्किंग-भाड़े का बिल: लगभग 1 करोड़ रुपये

कोलकाता एयरपोर्ट अथॉरिटीज़ ने 13 साल तक उस विमान के पार्किंग शुल्क व अन्य सर्विस चार्जों का हिसाब लगाया — और एयर इंडिया को करीब ₹ 1 करोड़ (लगभग 10 मिलियन रुपये) का बिल भेजा।
इस शुल्क की मांग और विमान की पुनः खोज ने न सिर्फ एयर इंडिया के महाप्रबंधकों को चौंका दिया, बल्कि भारतीय विमानन इतिहास में एक अनोखी घटना के रूप में दर्ज हो गई।


🚚 विमान की ‘अंतिम यात्रा’ — अब ट्रेनिंग प्लेटफार्म बनेगा

14 नवंबर 2025 को वह 737-200 – जिसके बारे में किसी को नहीं पता था — ट्रैक्टर-ट्रेलर पर लादकर 1900 किमी की सड़क यात्रा के बाद Bengaluru International Airport Ltd. (बैंगलोर) भेजा गया। वहां इसे मेंटेनेंस इंजीनियरों के प्रशिक्षण (Training) के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
यह कदम कोलकाता एयरपोर्ट से निष्क्रिय विमानों की सफाई अभियान का हिस्सा है; पिछले पांच सालों में 14 ऐसे विमानों को हटा लिया गया है।
      यह घटनाक्रम — 43 साल पुराने विमान का 13 साल तक लावारिस रह जाना, उसकी जानकारी एयर इंडिया को न होना, और आखिर में 1 करोड़ रुपये बिल — विमानन क्षेत्र में रिकॉर्ड-कीपिंग और उत्तरदायित्व की घोर कमी का उदाहरण है। चाहे इसे भूल चलेपन कहें या प्रशासनिक लापरवाही — अंततः इस भूल की भरपाई जनता के एक एयरलाइन और एयरपोर्ट के बीच होने वाले वित्तीय टकराव के रूप में सामने आई।
एड-एड रही विमानन कंपनियों और हवाई अड्डा प्राधिकरणों के बीच की पारदर्शिता और अपडेटेड रिकॉर्ड का महत्त्व अब फिर एक बार उजागर हुआ है।

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