भिवंडी – भिवंडी निजामपुर महानगर पालिका प्रभाग समिति 5 की हद में बिल्डर द्वारा जमीन मालिकों से धोखे और जाल साज़ी से जमीन हड़पने का मामला प्रकाश में आया है।

प्राप्त समाचार के अनुसार मौजे इस्लामपुरा सिटी सर्वे न,492,A क्षेत्रफल 181,4 वर्ग मीटर जमीन घर न,22, 22/1 के मालिकों ने 2018 से शासन प्रशासन से शिकायत पत्र देकर उनके साथ हुए ठगी की गोहार लगा रहें हैं, उन्होंने पत्र में लिखा है कि 1) ज़हीर अहमद अंसारी.और उनके दो बेटे तौसीफ अहमद जहीर अहमद अंसारी.
तमजीर अहमद जहीर अहमद अंसारी.डेवलपर्स ने हमारी संपत्ति को विकसित करने के लिए उन्होंने हमें गुमराह करके पंजीकृत भूमि अधिकार पत्रों पर हमारे हस्ताक्षर ले लिए और हमारी जमीन को अपने नाम पर ले लिया और हमारे साथ बहुत बड़ा धोखा किया, हमारी जमीन पर हमारे अधिकारों को नष्ट कर दिया गया है, इस मामले में गंभीर अपराध दर्ज किया जाना चाहिए और कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए और हमें पुलिस सहायता मिलनी चाहिए और हमें गुमराह करके जो दस्तावेज तैयार किए गए हैं उन्हें नष्ट किया जाना चाहिए।
मौजे इस्लामपुरा में भूमि, सी.एस. नं. 492-ए. क्षेत्रफल 181.4 वर्ग मीटर. यह जमीन हमारे परिवार की जमीन है। और हमारी पुरानी हवेली इसी ज़मीन पर थी। हमने वह संपत्ति वर्ष 2018 में विकसित करने के लिए उन को दिया गया था,डेवलपर और हमारे परिवार के सदस्यों के बीच एक बैठक में बिल्डर के लिए 53 प्रतिशत और मालिक के लिए 47 प्रतिशत का समझौता हुआ।
ठगी के शिकार हुए जमीन मालिकों ने बताया कि बिल्डर द्वारा पहले हमें करार विकासित करने का करारनामा दिया गया हम लोगों ने उसे जानकारों को पढ़ाया सब ठीक था लेकिन जब राजिस्ट्रार आफिस गये,तो वहां पर हस्ताक्षर के बाद दोबारा हस्ताक्षर लिए गए, बिल्डर ने बताया कि पहले के हस्ताक्षर फेल हो गए,
पत्र में लिखा है कि जब रजिस्ट्रार कार्यालय से बाहर आने के बाद हमने बिल्डर से कहा कि आपने कहा था कि आप केवल एक समझौते पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं, लेकिन यहां दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। उत्तर देने वाले व्यक्ति ने कहा कि दो समझौते हैं, एक पावर ऑफ अटॉर्नी और एक विकास समझौता, और दो दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता है, और उन्होंने दो दस्तावेजों पर हमारे परिवार के सदस्यों के हस्ताक्षर लिए। प्रतिवादी ने चालाकी से हमारे परिवार के सदस्यों से पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत करा ली है तथा बिक्री समझौता भी पंजीकृत करा लिया है। प्रतिवादी यहीं नहीं रुका, बल्कि उसने बिक्री समझौते के आधार पर हमारी जमीन भी अपने नाम पर स्थानांतरित करवा ली।
जब हम लोगों ने बिल्डर से पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया तो उसने बताया कि हमने स्टाम्प ड्यूटी बचाने के लिए बिक्री समझौता किया था।
जब इस धोखाधडी के मामले को लेकर जमीन मालिकों ने न्याय की गोहार लगाई जब तक बिल्डर ने एक अवैध इमारत बना चुका था उस इमारत को जमीन मालिकों को सौंप दिया,फिर भी जमीन मालिकों ने चुप नहीं बैठे अपनी पुस्तैनी जमीन के लिए गोहार लगाते रहे,अब खेल यहां तक पहुंच गया कि बिल्डर अपनी बनाई हुई बिल्डिंग को तोड़वाने के लिए मनपा का चक्कर काट रहा है, क्यों कि अगर बिल्डर दबाव बना ले जाता है तो बिल्डिंग टूटेगी या फिर समझौता होगा।
हालांकि इस मामले में बिल्डर से बात करने की कोशिश की गई लेकिन फोन उठा।