भिवंडी में पहाड़ी पर भूस्खलन,7 झोपड़े मलबे में दब,कोई जनहानि नहीं,राहत बचाव का कार्य शुरू
15 झोपड़ों के काटे गए बिजली व जल कनेक्शन, झोपड़े वालों को बगल के मनपा स्कूल में किया गया विस्थापित

विशेष संवाददाता भिवंडी
भिवंडी मनपा द्वारा नियोजन के अभाव में पहाड़ियों पर बरसात के दौरान हादसों का सिलसिला शुरू हो गया है।स्थानीय नागांव इलाके में तेज हवा व तूफानी बारिश के कारण पहाड़ पर भूस्खलन हो गया।जिसके मलबे में दबने के कारण 7 झोपड़े तबाह हो गए।गनीमत रही कि इस दौरान कोई जनहानि नहीं हुई।मनपा प्रशासन झोपड़े पर गिरे मलबे को हटाने का काम शुरू कर दिया हैं।साथ ही हादसे के शिकार हुए झोपड़ा मालिकों के साथ आस पास के झोपड़ा मालिकों को बगल में स्थित मनपा स्कूल में विस्थापित कर दिया गया है।इस हादसे के बाद पहाड़ियों पर वर्षों से आशियाना बना कर रहने वालों में भय का माहौल व्याप्त है।

स्थानीय गायत्री नगर इलाके में स्थित दुर्गा माता मंदिर के पास नागांव रोड़ पर कई दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण मंगलवार की सुबह अचानक पहाड़ी खिसक गई।जिसके मलबे में दबने से 5 घरों का नुक़सान हुआ।जबकि 2 घर पूरी तरह से मिट्टी से दब गया है।हालांकि इस दौरान हुए हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई।लेकिन मेहनत की कमाई से घर बनाने वालों का पूरा आशियाना तबाह हो गया।मनपा शहर विकास अधिकारी अरविंद घुंघे ने बताया कि जहां पर हादसा हुआ है उस इलाके में झोपड़ों को खाली करने का पहले ही नोटिस दिया गया था,लेकिन झोपड़ा धारकों ने अपना झोपड़ा नहीं खाली किया।उन्होंने बताया कि मनपा के दो प्रभाग समितियों के लोग मलबा को हटाने व राहत बचाव कार्य में जुट गए है।उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में होने वाले हादसे की आशंका को देखते हुए हादसा स्थल के आस पास 9 झोपड़े को खाली करवाकर उन्हें मनपा स्कूल में विस्थापित किया गया है।जबकि 15 झोपड़े का हादसे के बाद बिजली कनेक्शन व नल कनेक्शन खंडित कर दिया गया है।साथ ही आस पास के इलाके में झोपड़ों में तत्काल झोपड़ा खाली करने के लिए एलाउंस किया गया है।जो भी झोपड़ा खाली नहीं करेगा,उन पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।जबकि बारिश में पुनः हादसे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
पहाड़ियों पर वर्षों से रहने वालों पर मंडरा रहा खतरा
भिवंडी मनपा क्षेत्र में स्थित साठेनगर, अजमेर नगर, गदहा नगर, राम नगर, शांतिनगर, गायत्री नगर, नवी बस्ती और नेहरूनगर सहित आधा दर्जन से अधिक पहाड़ियां है। जहां पर हजारों लोग झोपड़पट्टी बनाकर रहते हैं। अपनी मेहनत की कमाई से एक-एक रुपया इकट्ठा कर अपना आशियाना बना कर रहने वाले इन झोपड़ों को मनपा ने पानी का लाइन देने के साथ सरकार ने इन्हें बिजली का कनेक्शन भी दिया है। लेकिन इन पहाड़ियो के झोपड़पट्टी में रहने वालो के साथ यदि कोई हादसा होता है तो उससे निपटने का मनपा के पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। सूत्र बताते है कि इन झोपड़पट्टी में रास्ता न होने के कारण आग लगने अथवा अन्य घटना से निपटने के लिए इन झोपड़ो पर जाने के लिए एम्बुलेंस अथवा पानी का टैंकर अथवा फायर ब्रिगेड की गाडियो को जाने का कोई रास्ता नहीं है। इतना ही नहीं इन पहाड़ियो पर रहने वालो का जीवन हमेशा खतरे में पड़ा रहता है। पहाड़ियो पर मनपा द्वारा कोई सुरक्षा का कोई उपाय न होने के कारण मुसलाधार बारिश के कारण पहाड़ियो के खिसकने अथवा भूस्खलन का खतरा बना हुआ है।जबकि मनपा प्रशासन शहर के अन्य पहाड़ियों पर बसे झोपड़ों को खाली करने का नोटिस दिया जा चुका है।
पहले भी खिसक चुकी है पहाड़ी
कई वर्ष पहले साठेनगर नगर इलाके भूस्खलन के कारण घर की दीवार मूसलाधार बारिश के कारण गिर गई थी।जिसके कारण पांच रूम बर्बाद हो गए थे।इसके पहले रामनगर में पहाड़ी खिसक गया था। जिसके कारण चार झोपड़े तबाह हो गए थे। जबकि वर्ष 2006 में मुसलाधार बारिश के कारण गदहा नगर की पहाड़ी खिसक गई थी। जिसके कारण चार लोगो की मौत हो गई थी और छह लोग घायल हो गए थे। जिसके बाद तत्कालीन मनपा आयुक्त ने पुनः इस घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए पहाड़ियो पर रहने वालो की सुरक्षा के लिए हर पहाड़ी पर सुरक्षा वॉल बनाने का आदेश दिया था। लेकिन 16 साल बीतने के बाद आजतक सुरक्षा वॉल बनना तो दूर एक पत्थर तक कहीं नहीं रखा गया। जिसके कारण मुसलाधार बारिश के कारण पुनः पहाड़ी खिसकने का खतरा पैदा हो गया है। जो लोगो में भय का कारण बना हुआ है।
◼️पहाड़ों पर रहने वाले 850 वालों को मनपा की नोटिस
कई दिनों से जारी मूसलाधार बारिश के मद्देनजर मनपा प्रशासन ने 850 पहाड़ी के झोपड़ा धारकों को बारिश काल में मकान में न रहने का आह्वान करते हुए उन्हें बारिश काल तक मकान खाली रखने का नोटिस दिया है।साथ ही इलाके में बैनर लगाकर व एलाउंस पर घर खाली रखने की अपील की है।इसके अलावा मनपा प्रभाग समिति दो के अधिकारी ने भी अपने इलाके के पहाड़ियों पर रहने वालो को नोटिस दिया है। सूचना के बाद भी लोग ऐसे मकान में रहने से बाज नहीं आते तो बारिश के दौरान किसी भी प्रकार की होने वाली दुर्घटना के लिए वह स्वयं जिम्मेदार होंगे। इस संदर्भ में झोपड़पट्टी और भूभाग लिपिक द्वारा सभी संबंधित झोपड़े अथवा मकान धारकों को इस आशय की नोटिस दे दी गई है।