ठाणे जिला सूचना कार्यालय की छत पर खिला अनोखा बगीचा.जनता के लिए बना एक संदेश

ठाणे

अब्दुल गनी खान ठाणे
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार 100 दिवसीय कार्ययोजना के पहले चरण के साथ-साथ हाल ही में घोषित 150 दिवसीय कार्ययोजना के तहत सरकारी कार्यालयों और उनकी कार्यप्रणाली में सुधार कर रहे हैं। इससे प्रेरणा लेते हुए, ठाणे जिला सूचना कार्यालय की छत पर एक सुंदर, जीवंत और अभिनव पर्यावरण-अनुकूल “टेरेस गार्डन” बनाया गया है।

ठाणे जिला सूचना कार्यालय में बने इस अनोखे “टेरेस गार्डन” की चर्चा हर जगह हो रही है। यह महज एक उद्यान नहीं है, बल्कि जागरूकता का एक आदर्श उदाहरण है जो लकड़ी और प्लास्टिक को संसाधन में बदल देता है। अपशिष्ट पदार्थों का पुनर्चक्रण करके छत पर एक हरा-भरा और प्रेरणादायक उद्यान बनाया गया है। इस उद्यान में आप ट्रेसिना, एलीफेंट ईयर, स्नेक प्लांट, हेनेकेनी, जसवंद, लेमन ग्रास और 45 विभिन्न प्रकार के पौधे देख सकेंगे।

इस पहल के पीछे की विस्तृत जानकारी देते हुए ठाणे स्थित पर्यावरणविद् विजयकुमार कट्टी ने कहा, “मैं इस उद्यान के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास कर रहा हूं कि हर वस्तु को फेंकने के बजाय हम उसे दूसरा जीवन दे सकते हैं। यहां का प्रत्येक पौधा एक शिक्षक है। यह हमें धैर्य, जिम्मेदारी और प्रकृति के साथ सहभागिता सिखाता है।”

उद्यान की विशेषताएं:

1) छत पर पर्यावरण अनुकूल डिजाइन

2) लकड़ी, प्लास्टिक और कपड़े का उपयोग करके कार्यालय परिसर में गर्मी को कम करने वाले पेड़ों का डिज़ाइन

3) प्राकृतिक मच्छर भगाने वाले पौधों को शामिल करना

इस उद्यान का उद्देश्य हरियाली पैदा करना नहीं है, बल्कि कचरे के प्रति लोगों के नजरिए को बदलना, जागरूकता पैदा करना और समाज में सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन लाना है। वे सरकारी विभागों, डिश, डीआईसी, शैक्षणिक संस्थानों, बैंकरों, वकीलों, गृहणियों और उद्यमियों के लिए इंटरैक्टिव सेमिनार आयोजित करने का आह्वान कर रहे हैं।

 विजय कुमार कट्टी (ट्री मैन ठाणे) ने कहा कि इस उद्यान को सिर्फ एक पहल नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन बनाने के लिए सरकार, समाज और प्रत्येक नागरिक की भागीदारी महत्वपूर्ण है। 

मनोज सुमन शिवाजी सानप (जिला सूचना अधिकारी, ठाणे) ने अपने संदेश में कहा कि इस छत उद्यान मॉडल को स्कूलों, कॉलेजों, ग्रामीण क्षेत्रों, हाउसिंग सोसायटियों और सरकारी भवनों में आसानी से लगाया जा सकता है। पर्यावरण संरक्षण के लिए यह क्रिया-आधारित दृष्टिकोण ‘विचार से क्रिया’ की ओर ले जाएगा। 

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