भारत की आज़ादी और राष्ट्र निर्माण की कहानी महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी के बिना अधूरी है। दोनों ही महान नेताओं ने अपने विचारों, सादगी और त्याग से भारतीय समाज को नई दिशा दी।
महात्मा गांधी : सत्य और अहिंसा के पुजारी
मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें पूरी दुनिया महात्मा गांधी के नाम से जानती है, का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में हुआ। वे बचपन से ही सादगी, ईमानदारी और धार्मिकता से प्रभावित थे।
- गांधी जी ने सत्य और अहिंसा को जीवन का मूल मंत्र बनाया।
- उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को अहिंसक तरीके से जनांदोलन का रूप दिया।
- सत्याग्रह, असहयोग और भारत छोड़ो आंदोलन के माध्यम से उन्होंने अंग्रेज़ों की नींव हिला दी।
- उनका मानना था कि “अहिंसा सबसे बड़ा शस्त्र है” और “सत्य की विजय ही वास्तविक विजय है”।
गांधी जी का जीवन संदेश है कि संघर्ष चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसे सत्य और अहिंसा से जीता जा सकता है।
लाल बहादुर शास्त्री : सादगी और दृढ़ संकल्प का प्रतीक
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय (आज के पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर) में हुआ। साधारण परिवार से निकलकर उन्होंने राजनीति में उच्च स्थान बनाया।
- शास्त्री जी ईमानदार और सादगीप्रिय नेता थे।
- वे 1964 में भारत के प्रधानमंत्री बने और देश को आत्मनिर्भरता की राह दिखाई।
- 1965 के भारत-पाक युद्ध के समय उनका दिया गया नारा “जय जवान, जय किसान” आज भी भारतवासियों के लिए प्रेरणास्रोत है।
- वे मानते थे कि देश की रक्षा करने वाला जवान और देश का पेट भरने वाला किसान, दोनों ही राष्ट्र की ताकत हैं।
समानताएँ और संदेश
गांधी जी और शास्त्री जी दोनों का जन्म 2 अक्टूबर को हुआ और दोनों ही सत्य, सादगी और सेवा के आदर्श रहे।
- गांधी जी ने भारत को आज़ादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- शास्त्री जी ने आज़ादी के बाद राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने और दृढ़ संकल्प से आगे बढ़ाने का मार्ग दिखाया।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री का जीवन त्याग, ईमानदारी और सेवा का संदेश देता है। गांधी जी ने हमें स्वतंत्रता दिलाई और शास्त्री जी ने उस स्वतंत्रता को मजबूत नींव प्रदान की। आज भी यदि हम उनके विचारों को जीवन में अपनाएं तो एक समृद्ध, सशक्त और नैतिक भारत का निर्माण संभव है।


