उन्नाव के राजा राव बक्स सिंह का भिवंडी में बना चौक, सुरक्षा का अभाव।

भिवंडी

अब्दुल गनी खान

भिवंडी उन्नाव की भगवंतनगर विधानसभा क्षेत्र के गांव डौडिंयाखेड़ा (पूर्वकालीन रियासत) के महान पराक्रमी अमर शहीद राजा राव राम बक्श सिंह का महाराष्ट्र में ठाणे जिले के भिवंडी अशोक नगर और आस बीबी के बीचोंबीच मे हिंदू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे उड़ान पुल के समीप चौक बनकर तैयार हो चुका है,लेकिन सुरक्षा के अभाव से चौक के आसपास गंदगी फैली रहती है।

चौक के उद्घाटन की योजना पर शालीवाहन सेवाभावी संस्था के सदस्य विचार कर रहे है। संस्था सदस्यों ने स्थानीय आमदार (विधायक) के अथक प्रयासों की सरहाना करते हुए राव को महाराष्ट्र मे उनके पूर्वजो के बीच लाने पर हर्ष व्यक्त किया है। इतिहासकारों की माने तो राव ने तीसरी बार में फंदे मे लटकने पर अपने प्राणों को त्यागा था। राव के त्याग और शौर्य को स्थानीय लोग दैवीय शक्ति मानते है।

                राव के पुराना नाता रहा है महाराष्ट्र

जानकारों की माने तो राव के पूर्वज महाराष्ट्र के वॉशिदे थे। और राव को शालिवाहन वंश का बताया जाता है। एक तथ्य में राजा राव के पूर्वजों की ससुराल उन्नाव बैसवारा की बताई जाती है। हालाकिं राव को उनके पूर्वजो से मिलाने के लिए जनपद उन्नाव के बारासगवर निवासी विनोद शालिवाहन त्रिपाठी ने 25 सालो के अधिक प्रयास के बाद साल 2023 मे पूरा हो पाया

भिवंडी पुर्व के आमदार (विधायक) रईस कासम शेख की मदद से उनको निधि से  जारी तीन लाख रुपए की लागत से राजा राव राम बक्श सिंह के नाम से चौक का निर्माण करवाया है। चौक में धातु से बनी गोलाकार पृथ्वी आकृति मे शालिवाहन शौर्य प्रतीक के तौर पर लगा हुआ है। चौक निर्माण के बाद विनोद शालिवाहन ने 13 सदस्यो की शालिवाहन सेवाभावी संस्था बनाई है।

विनोद त्रिपाठी ने बताया कि भारत की तत्कालीन प. जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने मेघनाथ शाह नाम से एक कमेटी का गठन कर 22 मार्च 1957 को शालिवाहन द्वारा लिखित शक संवत को राष्ट्रीय कलेंडर घोषित कर चुकी है

                 चौक सुरक्षा व्यवस्था का अभाव

भिवंडी कल्याण रोड अशोक नगर स्थित बना राजा राम राव बख्श चौक सुरक्षा जाली नहीं लगने से चौक के आसपास गंदगी और चरसी दारू बाज जाकर सो जाते हैं जिससे भक्तों में आक्रोष ब्यक्त है पीपल्स रिपब्लिकन पार्टी भिवंडी शहर अल्पसंख्यक विभाग अध्यक्ष अब्दुल गनी खान ने मनपा से मांग की है कि राजा राम राव बख्श चौक को चारों तरफ से सुरक्षा जाली लगाकर सुरक्षित करें क्योंकि राजा राम राव बख्श को मानने वाले हर जाति धर्म के लोग हैं गंदगी होने से भक्तों के भावनाओं को ठेस पहुंचती है।

राजा राव के प्रति विनोद त्रिपाठी का कैसे जागा प्रेम

राजा राव को मुबंई ले जाने वाले विनोद त्रिपाठी के बाबा जमीदार प.भलभद्र राम राजा राव के बेहद करीबी और खास साथियो मे शुमार किया जाता था। विनोद बाताते है कि बाबा के राव प्रेम की बाते सुनकर ही राव साहब को उनके परिजनों के बीच मुंबई मे चौक निर्माण का संकल्प लिया था। 12 साल की कड़ी तपस्या के बाद उनका यह सपना (चौक) बनकर पूरा हो पाया है। बख्स सिंह चौक अमर शहीद इतिहासकारों की माने तो डौडियाखेद । रियासत के राजा राव राम बक्श सिंह ने हिदुस्तान की जंगे आजादी की लड़ाई मे साल 1857 की गदर मे ब्रिटिश हुकुमत की जड़े हिला दी थी। राव के शौर्य और पराक्रम की गाथा आज भी यहां के बुजुर्ग सुनाते है। राव की तलवारों से गोरो के अप्रत्याशित नरसंहार को देखकर ब्रिटिश जनरल बदले की आग मे जलने लगा, और राव को जिंदा या मुर्दा फांसी पर लटकाने का फरमान जारी कर दिया था। साल 1858 को राव के ही दुर्ग मे अंग्रेज जनरल के फरमान पर फांसी पर लटकाया गया, लेकिन राव के साथ घटी अदभुद् दैवीय घटना ने उस दिन को इतिहास मे सुनहरे अक्षरों मे दर्ज कर दिया था। घंटो तक लगातार दो बार फांसी पर लटकाने के बाद भी राव के प्राण पखेरु नही हुए थे। अंत मे राव ने ऐसे प्राण त्यागे जैसे उन्हे इच्छा मृत्यु का वरदान था।

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