तंजीम उलेमा अहले सुन्नत भिवंडी की कामयाब बैठक का आयोजन

भिवंडी

भिवंडी, 16 जुलाई 2025, बुधवार
हज़रत मौलाना यूसुफ रज़ा कादरी मदनी की दावत पर शिमला ढाबा, भिवंडी में शहर के प्रमुख उलमा और बुद्धिजीवियों की एक अहम बैठक आयोजित हुई।
इस बैठक में हाल ही में प्रांत अधिकारी को प्रस्तुत किए गए “उदयपुर फाइल्स फ़िल्म” के ख़िलाफ़ दिए गए ज्ञापन पर आगे की संभावित क़ानूनी कार्रवाई के पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया, जिसमें सभी उलेमा ने अपनी-अपनी राय पेश की।

साथ ही आने वाले रबीउलनूर महीने में जश्ने ईद मीलादुन्नबी ﷺ की 1500वीं वर्षगांठ के मौके को उत्साहपूर्वक, जागरूकता और सामाजिक भलाई के संदेश के साथ मनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव भी रखे गए।

🔹 मौलाना शमशाद नूरी साहब ने सभी उलमा से अपील की कि वे शुक्रवार के खुत्बों (भाषणों) में लोगों तक यह संदेश पहुँचाएँ कि ईद मीलादुन्नबी ﷺ की मुबारक निस्बत से और हमारे आका ﷺ के सदके में सिर्फ़ भिवंडी ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के मुसलमान ज़्यादा से ज़्यादा भलाई और समाजसेवा के कामों में हिस्सा लें — मसलन, खाना बांटना, मेडिकल कैंप लगाना, ज़रूरतमंदों की मदद करना और दान व सदक़ा करना।

🔹 मुम्ब्रा से पधारे मेहमान खास जनाब अनवरुल हक़ साहब और हज़रत अल्लामा मौलाना सगीर बरकाती साहब ने सलाह दी कि सभी उलमा आपस में इत्तेहाद और इत्तेफ़ाक (एकता और भाईचारे) से काम करें। यदि किसी से कोई चूक हो जाए, तो उसे दरगुज़र करें और एक-दूसरे की हौसला अफ़ज़ाई करें।

🔹 क़ाज़ी-ए-शहर भिवंडी, मुफ़्ती मुबश्शिर रज़ा अज़हर मिसबाही ने फ़रमाया कि इस्लाम पूरी इंसानियत का मज़हब है। जिस तरह वह मुसलमानों के अधिकार बताता है, उसी तरह ग़ैर-मुसलमानों के साथ रहन-सहन, इंसाफ़ और उनके हुकूक़ की भी तालीम देता है। हमारे नबी ﷺ सिर्फ़ हमारे लिए नहीं, बल्कि सारी कायनात के लिए रहमत बनाकर भेजे गए। इसलिए जब भी किसी की मदद करें या कोई दान दें, तो उसका मज़हब न देखें। अगर कोई ग़ैर-मुस्लिम भी मदद माँगता है, तो उसकी मदद ज़रूर करनी चाहिए ताकि आपसी भाईचारा मज़बूत हो।

बैठक का समापन मुफ़्ती साहब क़िब्ला की दुआ पर हुआ।

        शिरकत करने वाले उलमा और बुज़ुर्ग:

मुफ़्ती मुबश्शिर रज़ा, मौलाना शमशाद नूरी, मौलाना शहनवाज़, मौलाना रफ़ीक़ आलम, मुफ़्ती उमर, मौलाना फ़हीमुल इस्लाम, मौलाना इमरान, मौलाना निसारुल कादरी, मौलाना हसीब अंसारी, मौलाना मखदूम, मौलाना सईद अनवर, मौलाना मोहम्मद अली फ़ैज़ी, मौलाना कबीरुद्दीन, मौलाना मेहताब आलम, मौलाना अली हुसैन हडवी, मौलाना संजरुल कादरी, मौलाना मीराज तैगी, मौलाना मुअज्ज़म रज़ा, मौलाना राहत हुसैन, मौलाना ज़ैनुद्दीन, क़ारी मोहम्मद रज़ा, मौलाना मोहम्मद रज़ा सिर (नसीम रज़ा), एजाज़ शेख, हाजी मुज़म्मिल अब्दुस्समद अंसारी, अक़दस नाचन, ज़ाहिद मुख़्तार, मुख़्तार मोमिन, अली मोमिन और अन्य उलमा, कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी शामिल हुए।

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