गरीब व आम आदमी की पहुंच से दूर हुआ दूध,पैकेट के दूध से मनाया गया ईद
मजदूर बाहुल्य भिवंडी में तबेले के दूध के भाव में उबाल सा आ गया है।इन दिनों शहर में 90 रूपया प्रति लीटर के भाव से दूध बिक रहा है।जिसके कारण ईद पर गरीब व आम आदमी की पहुंच से दूध दूर होते जा रहा है।जिसके कारण मजबूरी में लोग पैकेट का इस्तेमाल करने को मजबूर हो गए है।हालांकि दूध विक्रेता बढ़ते दाम का कारण गर्मी में दूध की कमी व बढ़ती मंहगाई को बता रहे है।
भिवंडी मजदूर बाहुल्य इलाका है।जहां पर बड़े तादात में गरीब मजदूर रहते है और मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते है।लेकिन कम पगार पाने वाले मजदूरों के सामने दूध खरीदना मुश्किल हो गया है।पीपल्स रिपब्लिकन पार्टी अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष अब्दुल गनी खान का कहना है कि भिवंडी में संगठित दूध माफिया द्वारा शेयर मार्केट की तरह दूध का भाव रोजाना मनमानी तरीके से घटाया बढ़ाया जाता है।इस ईद शहर में 90 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा के भाव में दूध बिका कई और दूध शतक मारने से चूक गया।उनका का कहना है क़ि दूध के भाव पर नियंत्रण रखने की जिम्मेदारी जिलाधिकारी की होती है ।लेकिन जिला प्रशासन व् अन्न औषधि विभाग की घोर अनदेखी के कारण दूध विक्रेता मनमाना तरीके से दूध का भाव बढ़ा ले रहे है। उन्होंने बताया कि भिवंडी में दूध का भाव चार लोग तय करते है यही लोग भिवंडी में शहर के बाहर के व्यापारियो को यहां दूध नहीं बेचने देते है।जिन पर प्रशासन द्वारा कार्रवाई कर दूध का दाम नियंत्रित करने की जरूरत है।गर्मी व महंगाई के कारण बढ़ता है दूध का भाव
इधर तबेला मालिकों का कहना है कि गर्मी के सीजन ने भैंस कम दूध देती है।जो जानवर एक टाइम पांच लीटर दूध देती है।वह गर्मी के सीजन में मात्र तीन लीटर ही दूध देती है।इतना ही नहीं उनका कहना है कि गर्मी की सीजन में जानवरो के चारे का भाव बढ़ जाता है।दूध की कमी व महंगाई के कारण मजबूरन दूध का भाव बढ़ाना पड़ता है।बारिश आने के बाद जानवरों के दूध में बढ़ोत्तरी होने के बाद दूध का भाव कम हो जाता है।इधर राम खेलावन नामक लूम मजदूर का कहना है कि वह कारखाने में काम करके 15 से 18 हजार कमाते है।इसी में तीन बच्चे सहित पांच लोगो का खर्च चलाना रहता है।पहले हर दिन दो लीटर दूध लेते थे।लेकिन दूध का दाम बढ़ने से अब वे मजदूरन एक लीटर दूध पैकेट का लेकर अपना दिन गुजार रहे है।बढ़ती मंहगाई के कारण अब गुजारा करना व बच्चों को दूध पिला पाना मुश्किल हो गया है।इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि ईद पर सेवई बनाने के लिए भी उन्होंने तबेले के बजाय मार्केट में बिकने वाले पैकेट के दूध का इस्तेमाल किया।शहर में इस वर्ष पैकेट दूध की डिमांड ज्यादा रही।
