भिवंडी में बारिश के दौरान पहाड़ी खिसकने व निचले हिस्से में रहने वाले 50 हजार लोगो के जान को खतरा

भिवंडी

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◼️5000 लोगों को मनपा प्रशासन ने भेजा नोटिस,कहा सुरक्षित स्थान पर चले जाओ

◼️निचले हिस्सों में सफाई का अभाव व पहाड़ी पर रहने वाले लोगों के लिए मनपा में कोई नियोजन नहीं 

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रिपब्लिक रिपोर्ट /भिवंडी

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भिवंडी शहर में बारिश के दौरान ऊंचाई पर रहने वालों में पहाड़ी खिसकने व निचले हिस्सों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।इस कारण उक्त हिस्सों में आशियाना बनाकर वर्षो से रहने वाले 5 हजार लोगो को मनपा प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर नोटिस जारी कर बारिश के दौरान सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट होने का कहा है।क्योंकि मनपा के पास इन पहाड़ियो पर रहने वालो की सुरक्षा का कोई नियोजन न होने के कारण इस पर रहने वालो पर 50 हजार लोगों पर बरसात के दिनों में मौत के काले बादल मंडराना शुरू हो गए हैं।

                    भिवंडी मनपा क्षेत्र में स्थित साठेनगर, अजमेर नगर, गदहा नगर, राम नगर, शांतिनगर, गायत्री नगर, नवी बस्ती और नेहरूनगर सहित आधा दर्जन से अधिक पहाड़ियां है। जहां पर हजारों लोग झोपड़पट्टी बनाकर रहते हैं। अपनी मेहनत की कमाई से एक-एक रुपया इकट्ठा कर अपना आशियाना बना कर रहने वाले इन झोपड़ों को मनपा ने पानी का लाइन देने के साथ सरकार ने इन्हें बिजली का कनेक्शन भी दिया है। लेकिन इन पहाड़ियो के झोपड़पट्टी में रहने वालो के साथ यदि कोई हादसा होता है तो उससे निपटने का मनपा के पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। सूत्र बताते है कि इन झोपड़पट्टी में रास्ता न होने के कारण आग लगने अथवा अन्य घटना से निपटने के लिए इन झोपड़ो पर जाने के लिए एम्बुलेंस अथवा पानी का टैंकर अथवा फायर ब्रिगेड की गाडियो को जाने का कोई रास्ता नहीं है। इतना ही नहीं इन पहाड़ियो पर रहने वालो का जीवन हमेशा खतरे में पड़ा रहता है। पहाड़ियो पर मनपा द्वारा कोई सुरक्षा का कोई उपाय न होने के कारण मुसलाधार बारिश के कारण पहाड़ियो के खिसकने अथवा भूस्खलन का खतरा बना हुआ है।

भिवंडी मनपा प्रभाग समिति दो के सहायक आयुक्त सुधीर गुरव ने बताया कि मनपा अंतर्गत आने वाले पहाड़ियों पर हर वर्ष बारिश में चट्टान खिसकने के कारण हादसे होते है।इसके साथ निचले हिस्सों में जलजमाव के कारण लोगो के घरों में पानी भरने के कारण नुकसान के साथ ही हादसे की स्थिति बनी रहती है।जिसके मद्देनजर मनपा आयुक्त अजय वैद्य ने मनपा के पांचों प्रभाग समिति के सहायक आयुक्तों को सुरक्षा की दृष्टि से उपाय योजना का निर्देश अपने अपने क्षेत्र में बरतने का निर्देश दिया है।जिसके बाद प्रभाग अधिकारी अपने इलाको में बारिश के दौरान कोई हादसा न हो इसे रोकने हेतु तैयारी शुरू कर दिया है।उन्होंने बताया कि प्रभाग समिति एक द्वारा एक हजार तथा प्रभाग समिति दो द्वारा 4 हजार सहित 5 हजार लोगों को नोटिस दिया गया है।उन्होंने कहा है कि कुछ क्षेत्र जो पहाडी के तलहटी व ऊँचाई पर बसे हुए है। बारिश में पहाड़ी खिसक सकती है‌। इसके साथ कामवारी नदी के किनारे बरसात में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। इसके लिए सभी नागरिक सतर्क रहे। आपात स्थिति में किसी भी तरह की जानमाल की हानि से बचने के लिए सावधानी बरती जा रही है उक्त सभी इलाके खाली करने के लिए नोटिस जारी किया गया है और नागरिकों से अपील की है इस कार्य में पालिका का सहयोग करे।उन्होंने बताया पहाड़ियों पर जहां 50 हजार व निचले इलाके में 10 हजार लोग रहते है।

क्षेत्रों को खाली करने के बजाय सुरक्षा के उपाय करें मनपा

मनपा द्वारा जारी किए गए नोटिस के बाद ऊंचाई व निचले हिस्सों में रहने वालो में घोर आक्रोश फैल गया है।

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रदेश संगठन सचिव व स्थानीय निवासी संतोष कुमार राय ने मनपा के इस कदम को तुगलकी फरमान करार दिया है।उनका कहना है कि मनपा प्रशासन शहर के निचले हिस्सों में जलजमाव व जलभराव को रोकने के लिए प्रयास करना चाहिए।इतना ही नहीं पहाड़ियों की ऊंचाइयों पर रहने वालों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा दीवार बनाना चाहिए,ताकि कोई हादसा न हो।क्योंकि उक्त क्षेत्रों में रहने वाले गरीब एक एक पैदा जोड़कर अपना आशियाना बनाते है।मनपा के फरमान के बाद वे कहां जायेंगे? मनपा प्रशासन को इस पर भी विचार करना चाहिए।फिलहाल में मनपा के फरमान से जनता में घोर आक्रोश व्याप्त है।

पहले भी खिसक चुकी है पहाड़ी

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पिछले वर्ष साठेनगर नगर इलाके में पहाड़ी पर रहने वाले पद्माकर पवार का भूस्खलन के कारण घर की दीवार मूसलाधार बारिश के कारण गिर गई थी।जिसके कारण पांच रूम बर्बाद हो गए थे।इसके एक वर्ष पहले रामनगर पहाड़ी खिसक गया था। जिसके कारण चार झोपड़े तबाह हो गए थे। जबकि वर्ष 2006 में मुसलाधार बारिश के कारण गदहा नगर की पहाड़ी खिसक गई थी। जिसके कारण चार लोगो की मौत हो गई थी और छह लोग घायल हो गए थे। जिसके बाद तत्कालीन मनपा आयुक्त ने पुनः इस घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए पहाड़ियो पर रहने वालो की सुरक्षा के लिए हर पहाड़ी पर सुरक्षा वॉल बनाने का आदेश दिया था। लेकिन 13 साल बीतने के बाद आजतक सुरक्षा वॉल बनना तो दूर एक पत्थर तक कहीं नहीं रखा गया। जिसके कारण मुसलाधार बारिश के कारण पुनः पहाड़ी खिसकने का खतरा पैदा हो गया है। जो लोगो में भय का कारण बना हुआ है। हालांकि मनपा प्रशासन का कहना है कि इतनी बडी पहाड़ी के झोपड़पट्टी में रहने वालो के सुरक्षा का इंतजाम करने के बारे में उचित उपाय किया जा रहा है। जबकि बरसात के कारण कभी भी पहाड़ी खिसकने की घटना घट सकती है।

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